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INTRODUCTION.
vii
सुनिने प्रसन्न पायो जै जै धुनि रीजिये ॥
आये निस चार चारी करन हरन धन
देखे स्यामघन हांथ चाप सर लिये हैं ॥
जब जब आवे बान सांधि डरपावै बे तो
अति मंडरावे अर्षे बली दूरे किये हैं
भार आय पूछे अजू सांवरों किसोर कोन
सुनि करि मान रहै आंसू डारि दिये हैं ॥
दई सबै लुटाय जानी चौकी रामराय दई
लई उन्हें दीछा सीछा सुद्ध भये हिये हैं ॥
कियो तन विप्र त्याग लागि चलो संग तिया
दूरहीं तें देखि किया चरन प्रनाम है ॥
बोले यो सुहागवती मार यो पति होउ सती
अब तो निकस गई ज्याऊ सेवा राम है
बोलिके कुटंब कही जो पै भक्ति करो सही
गही तब बात जीव दियो अभिराम है ॥
भये सब साधु व्याधि मेटी ले बिमुख ताकी
जाकी बास रहै तो न सूझे स्याम धाम है ॥
दिल्लीपति पातसाह अहदी पठायो लैन
ताकों से सुनायो सू वे विप्र ज्यायो जानिये ॥
देखिवे की चाहै नीक सुख से निबाहैं आप
कहि बहु बिनय गहि चले मन आनियें ॥
पहुंचे नृपति पास आदर प्रकास किया
उच्च आसन ले बोल्यो मृदु बानियें ॥
दीजे करामाति जग ख्याति सब मात किये